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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

The worship of these deities follows a selected sequence generally known as Kaadi, Hadi, and Saadi, with Every goddess affiliated with a specific method of devotion and spiritual observe.

Based on the description in her dhyana mantra, Tripurasundari’s complexion shines with the light of your increasing sun. This rosy color represents joy, compassion, and illumination. She is shown with 4 arms in which she retains five arrows of flowers, a noose, a goad and sugarcane for a bow. The noose signifies attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow signifies the intellect as well as arrows are the 5 feeling objects. Inside the Sakta Tantra, it's Mother that's supreme, plus the gods are her instruments of expression. By means of them, she presides more than the generation, servicing, and dissolution with the universe, and also in excess of the self-concealment and self-revelation that lie powering Those people 3 actions. Self-concealment may be the precondition along with the results of cosmic manifestation, and self-revelation leads to the manifest universe to dissolve, disclosing the necessary unity. Tripurasundari represents the condition of awareness which is also

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क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

Worshipping Goddess Shodashi is not merely about in search of content Rewards but additionally in regards to the inner transformation and realization on the self.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-

Cultural events like people dances, tunes performances, and plays also are here integral, serving being a medium to impart regular tales and values, Specially to your more youthful generations.

Goddess Shodashi is generally known as Lalita and Rajarajeshwari which implies "the one particular who plays" and "queen of queens" respectively.

Comprehension the importance of these classifications helps devotees to choose the suitable mantras for his or her individual spiritual journey, making sure that their methods are in harmony with their aspirations and also the divine will.

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